जादुई ट्रेक्टर की कहानी | Jaadui Tractor Ki Kahani
जादुई ट्रेक्टर की कहानी | Jaadui Tractor Ki Kahani
रामपुर गांव में एक आदमी रहता था | जिसका नाम रमेश था वह बहुत ही अमीर आदमी था | उसके पास बहुत सारे किसान काम करते थे । जिसमें से एक किसान का नाम राम था | राम के पास एक ट्रेक्टर था जिसका उपयोग करके वह अपना घर परिवार चलाता था ।
उसके घर में उसकी एक बेटी और वो रहता था उसकी बेटी बहुत ही प्यारी थी | जब भी राम घर आता तो उसकी बेटी ट्रैक्टर के साथ खेलती 1 दिन की बात है | जब राम खेत में काम कर रहा था | तभी उसके ट्रैक्टर के नीचे एक पत्थर आ जाता है जिसके कारण उसका ट्रैक्टर फस जाता है और उसका ट्रैक्टर पलट जाता है |
जिसके कारण उसकी मौत हो जाती है | उसकी बेटी अनाथ हो जाती है क्योंकि उसकी मां तो पहले ही गुजर चुकी थी | आसपास के लोगों को उस पर बहुत ही दया आती थी | सब उसका ख्याल रखने में लगे रहते थे क्योंकि वह एक छोटी बच्ची थी सब उसके ख्याल रखने में जुटे रहते थे | सब उन्हें खाना खिलने में लगे रहते थे |
1 दिन की बात है राम की बेटी सोच में पड़ गई | उसे लगा कि लोग उसे कितने दिन तक खाना देंगे | एक दिन देंगे 2 दिन दे देंगे | उसने सोचा यदि मेरे पास एक ट्रैक्टर हो तो उससे मैं काम कर सकती हूं | पर वो थी छोटी बच्ची थी वो कैसे ट्रैक्टर चलती | ये सोच भी उन्हें खाए जा रही थी | तो उसने एक तरकीब सोची |
उसने एक माटी का ट्रैक्टर बनाया, फिर सोचने लगी मैंने ट्रैक्टर तो बना लिया है | लेकिन यह चलेगा कैसे और यह सोच सोच कर परेशान रहती थी | एक दिन उसके गांव में एक संत आए थे | जिनके चर्चे चारों ओर था लोगों का मानना था कि उनके पास कोई दिव्य शक्ति है |
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उसके गांव के लोग संत के पास अपनी समस्या लेकर जाते थे | यह बात उस छोटी सी बच्ची को पता चला तो उसने सोचा क्यों नहीं मैं अपनी इस माटी के ट्रैक्टर को लेकर स्वामी जी के पास जाऊं | फिर वह अगली सुबह अपने मिट्टी के ट्रैक्टर के साथ स्वामी जी के पास गई और उसने अपने बारे में सारी बातें उन्हें बताइए |

स्वामी जी ने कहा कि तुम चिंता मत करो मैं तुम्हारी मदद करूंगा लेकिन मैं जैसा बोलूंगा तुम्हें वैसा ही करना पड़ेगा | संत ने उस बच्ची से कहा “तुम 3 दिन तक किसी से ना मिलना ना किसी से कुछ बोलना” | फिर छोटी सी बच्ची ने कहा ठीक है स्वामी जी आप जैसा बोलेंगे मैं वैसा करूंगी |
फिर वह अपने घर जाकर अपने खिड़की दरवाजे लगा लेती है | वो पुरे दिन न तो किसी से मिलती है ना बात करती है | लेकिन अगली सुबह उसे बहुत जोर की भूख लगती है | फिर वह सोचती है कि मैं नहीं बाहर जाऊंगी तो फिर मैं खाना कैसे खाऊंगी |
फिर वह रोने लगती है इतने में ही उसके सामने खाने की थाली आ जाती है | उससे आवाज आती है कि यह खाना तुम्हारे लिए है फिर वह खाना खा लेती है दूसरे दिन भी ऐसा ही होता है | उसके लिए खाना आ जाता है जैसे ही 3 दिन पूरा होता है तो चौथे रोज वो छोटी सी बच्ची स्वामी जी के पास जाती है | वहां पर जाने के बाद उसे पता चलता है कि स्वामीजी है ही नहीं तो उदास हो जाती है | वो सोचती है कि स्वामी जी कहां चले गए हैं लेकिन वह थोड़ा देर इंतजार करती है इतने में स्वामी जी वहां आते हैं |
स्वामी जी कहते हैं कि मुझे तुम माफ कर दो मैं तुम्हारी परीक्षा ले रहा था, की तुम अपने कार्य को लेकर कितना गंभीर हो और स्वामी जी कहते हैं कि मैं समझ गया तुम एक मेहनती बच्ची हो | ठीक है तुम बाहर जाकर देखो तुम जो चाहती थी वह हो गया है |
इतना सुनते ही वह छोटी बच्ची बाहर जाती है फिर वह देखती है कि उसका मिट्टी का ट्रैक्टर एक असली ट्रैक्टर बन गया है | उतने में स्वामी जी बाहर आते हैं और उसे बोलते हैं यह देखने में भले ही छोटा है | लेकिन इसे वह सारे काम होंगे जो बड़े ट्रैक्टर करते हैं | यह सुनते ही छोटी सी बच्ची खुश हो जाती है और कहने लगती है कि आज से मैं अपना गुजर-बसर खुद करूंगी |
फिर वह अपना ट्रैक्टर लेकर वहां से स्वामी जी को धन्यवाद कहके चली जाती है | स्वामी जी उसे कुछ पैसे भी देते हैं कहते हैं पैसे रख लो बेटी ये तुम्हारे काम आएंगे | फिर वह कुछ देर आगे जाती है | रस्ते में उसे पेट्रोल पंप दिखाई देता है | वहां पर वो ट्रेक्टर में तेल भरा लेती है |
फिर वह छोटी सी बच्ची अपने ट्रैक्टर के साथ गांव में जाती हैं | गांव में सारे लोग उसे देख कर हैरान हो जाते हैं | छोटी बच्ची अपने ट्रैक्टर के साथ अपने खेत का काम करने लगती | जैसे जोताई, कटाई, बुनाई देखते देखते कुछ दिन बिट जाते हैं | फिर छोटी सी बच्ची की खेत में फसल आ जाती है |
एक दिन फसल कट के तैयार हो जाता है | लेकिन छोटी सी बच्ची सोचने लगती है कि छोटे से ट्रैक्टर पर मैं इतना सारा अनाज बाजार कैसे ले जाऊं | उतने में स्वामी जी वहां आते हैं वह कहते हैं कि तुम चिंता मत करो एक जादुई ट्रैक्टर है | इसे तुम जो भी चाहो कार्य कर सकती हो | तो इस पर बोरी रखो सारी आ जाएंगे तो छोटी सी बच्ची ने सब कुछ उस पर रखा | वह देखकर आश्चर्य में हो गई इतनी छोटी सी ट्रैक्टर पर इतना सारा अनाज का बोरी कैसे आ गया ?
फिर वह सब बाजार ले जाकर बेच कर पैसे लाए और अपना गुजर-बसर करने लगी | उसके पास उसे जो भी पैसे हुए उसमें से वह स्वामी जी को कुछ दिए और कहाँ “यह वो पैसे है जो पैसे है जो आपने मुझे दिए थे” | लेकिन स्वामी जी ने कहा इन पैसों का मैं क्या करूंगा ? इस पैसों से तुम गरीबों की मदद करना और इसी तरह छोटी बच्ची अपने ट्रैक्टर की मदद से अपना जीवन यापन करने लगी |
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