Train Wali Kahani | रेल पटरी पर चुड़ैल वाली कहानी
Train Wali Kahani | रेल पटरी पर चुड़ैल वाली कहानी
एक गांव में एक परिवार रहता था | जिसमें दो भाई थे और उनकी पत्नियां थी | जिसमें से बड़े भाई को एक बेटा होता है, जिसका नाम राहुल है | राहुल के जन्म के बाद ही घर में चारों तरफ खुशियां छा जाती हैं | सब मिल जुल कर रहते थे लेकिन कुछ दिनों के बाद छोटे वाले भाई को भी एक बेटा होता है और फिर उस परिवार का प्यार दोनों बच्चों में बट जाता है |
यह बात बड़े भाई की पत्नी को पसंद नहीं होता है | फिर वह सोचने लगती है कि अब तो मेरे देवर का भी एक एक बेटा हो गया है | अब तो इस घर की दौलत दो बराबर भागों में बांटी जाएगी | इसी बात को लेकर उसके मन में कड़वाहट पैदा हो जाती है | आए दिन दोनों के बीच कुछ ना कुछ झगड़ा चलता रहता, घर में 1 दिन बड़े भाई किसी काम से शहर जाता है और वह अपने छोटे भाई को कहता है कि तुम सब का ख्याल रखना | मैं कुछ ही दिन में वापस आ जाऊंगा फिर उसकी पत्नी सोचती है कि यही अच्छा मौका है कि मैं अपने देवर के बच्चे को रास्ते से हटा दूं |
फिर तो घर का सारा दौलत मेरे बच्चे को ही मिलेगा | एक दिन की बात है उसकी देवरानी अपने बच्चे को लेकर सोई थी | तो फिर वह उस बच्चे को लेकर ट्रेन की पटरी के तरफ चली जाती है | उस बच्चे को ट्रेन की पटरी पर लाकर छोड़ देती है और मन ही मन सोचती है कि अब सारी दौलत मेरे बेटे को ही मिलेगी |
फिर वहां से वो चली जाती है | उतने में ही वहां एक चुड़ैल आ जाती है | यह सब देख लेती है फिर थोड़ी देर में वहन पर एक ट्रेन आती है | यह देखकर चुड़ैल बच्चे को गोद में उठा लेती है और वह फिर सोचने लगी की यह कैसी औरत है | जो एक बच्चे को ट्रेन की पटरी पर छोड़ कर जा रही है | फिर वह चुडेल उसके पीछे-पीछे उस बच्चे को गोद में लिए चलने लगती है |
इधर वो औरत यह सोचते हुए घर जाती है कि मैं जल्दी से जाकर अपने कमरे में सो जाती हूँ | ताकि किसी को पता ना चले कि मैं कहां गई थी | सुबह होते ही घर में सब लोग परेशान हो जाते हैं कि बच्चा कहां है ? घर की देवरानी बहुत ही परेशान हो जाती है | फिर उस बच्चे का पिता घर आता है | उनके आते ही सब वहां चुप हो जाते हैं फिर सब लोगों ने सारी बातें बताते हैं |
जिससे वह कहते हैं कि मैं कुछ दिनों के लिए घर से बाहर किया गया | तुम लोग मेरे बच्चों का ख्याल नहीं रख पाए और फिर सब बच्चे को ढूंढने में लग जाते हैं | उतने में ही दरवाजे पर एक औरत आती है | जो राहुल को गोद में लिए रहती है कि राहुल की मां राहुल को अपनी गोद में लेकर उसका सिर चूमने लगती है और पूछती है कि यह बच्चे आपको कहां से मिला |
वह बोलती है कि यह जानना जरूरी नहीं है कि बच्चा मुझे कहां से मिला | बस तूम अपने बच्चे का अच्छे से ख्याल रखो | फिर से उसे पूछने लगते हैं कि आपका घर कहां है | आप कहां रहती है असली में वह एक चुड़ैल रहती है जो एक औरत का भेस में रहती है | वह बोलती है कि मेरा भी कोई ठिकाना नहीं है |
फिर राहुल के पिता जी बोलते हैं कि जब तक आपका कोई ठिकाना नहीं हो जाता | तब तक आप मेरे घर में रह सकती हो | घर की जेठानी बोलती है कि ऐसे कैसे कोई भी हमारे घर में रह सकता | जिसे हम जानते नहीं हैं लेकिन घर की देवरानी बोलती है नहीं इसने मेरे बच्चे की जान बचाई है |
मेरे लिए यही काफी है फिर वह चुडेल औरत के भेष में उसके घर में रहने लगती है | क्योंकि उस चुडेल को बच्चे की फिकर थी | वह जानती थी कि उसकी बड़ी माँ उसके जान की दुश्मन है | फिर एक दिन जब घर में सब सो जाते हैं | तो राहुल की माँ उस बच्चे को लेकर फिर से ट्रेन की पटरी के ओर चली जाती है |
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उतने में वो चुडेल उठ जाती है और घर के सभी लोगो को उठा देती है और कहती है | मैने राहुल के माँ को ट्रेन की पटरी के ओर बच्चे को लेकर जाते हुए देखा | सभी लोग ट्रेन के पटरी के ओर भागते है | वहां पहुचते ही सब लोग देखते है की राहुल के माँ बच्चे को पटरी पर सुला रही है |
उतने में ही सब आ जाते हैं और उसे कहते कि तुम ऐसा कैसे कर सकती हो | लेकिन राहुल के माँ उन लोगो से झगरने लगती है और जबरदस्ती बच्चे को पटरी पर डालने लगती है | लेकिन उसकी देवरानी राहुल की मां धक्का देकर आ जाती है और बच्चे को वहां से उठा लेती है |
ऐसे में राहुल के माँ का दोनों हाथ ट्रेन के चपेट में आ जाता है और उसका दोनों हाथ कट जाती है | फिर वो चुड़ैल अपनी असली रूप आ जाती है और सबको आश्चर्य होता है कि एक चुड़ैल होकर भी इसने हमारे बच्चे की जान बचाई और यह अपनी होकर भी एक बच्चे की जान की दुश्मन बन गई | राहुल के माँ को अपनी गलतियों का एहसास होता है | क्योंकि उसे अपनी गलतियों का दंड मिल चुका था उतने में चुड़ैल वहां से चली जाती है |